डोनाल्ड ट्रंप न सही, लेकिन क्या ‘ट्रंपिज़्म’ ही कनाडा का भविष्य होने वाला है?
डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार कहा है कि कनाडा को अमेरिका में शामिल हो जाना चाहिए. भले ऐसा न हो, लेकिन ऐसा क्यों लगता है कि कनाडा बड़ी तेज़ी से ट्रंप-शैली की राजनीति की ओर बढ़ रहा है?
लिबरल पार्टी के नेता के रूप में जस्टिन ट्रूडो के अप्रत्याशित इस्तीफे ने कनाडा की राजनीति को और भी अस्थिर कर दिया है. नौ साल सत्ता में रहने के बाद, घटती लोकप्रियता, पार्टी के अंदर बढ़ते असंतोष और डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों के दबाव ने उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर कर दिया. अपना इस्तीफा देते हुए जस्टिन ट्रूडो का कहना था कि "इस देश को अगले चुनाव में एक असली विकल्प चाहिए". इसका मतलब ट्रूडो भी यह मानने लगे हैं कि उनका नेतृत्व अब लिबरल पार्टी और कनाडा के हित में नहीं है.
जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा ऐसे समय पर हुआ है जब अक्टूबर 2025 से पहले कनाडा में आम चुनाव होने हैं. जनमत सर्वेक्षणों की मानें तो इनमें ट्रूडो की लिबरल पार्टी को पियरे पोलीएव्रे के नेतृत्व वाली कंज़र्वेटिव पार्टी से भारी हार का सामना करना पड़ सकता है. इसे कुछ लोग कनाडाई राजनीति के संक्रमण काल की तरह भी देख रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि कनाडा को अमेरिका का हिस्सा बन जाना चाहिए. उनका ऐसा कहना भले अपनी ही किस्म का तंज रहा हो, लेकिन प्रधानमंत्री पद के मजबूत दावेदार के रूप में पियरे पोलीएव्रे का उभरना इस सवाल को जन्म दे रहा है कि क्या कनाडा की राजनीति ट्रंप-शैली की राजनीति की ओर बढ़ रही है?