क्या होता अगर ब्रेक्ज़िट न हुआ होता?
एक तरफ मुश्किल अमेरिका, दूसरी तरफ पहले से ज़्यादा आक्रामक रूस — क्या यूरोप के लिए यह बेहतर न होता अगर ब्रिटेन अभी भी यूरोपीय संघ का हिस्सा होता?

2018 में जब जी-7 देश कनाडा में इकट्ठा हुए थे, तो डोनाल्ड ट्रंप ने यह कहकर सबको चौंका दिया था कि इस समूह में रूस को फिर से शामिल कर लेना चाहिए. 2014 में क्रीमिया पर कब्ज़े के बाद रूस को जी-8 से बाहर कर दिया गया था और यह समूह जी-7 बन गया. उस शिखर सम्मेलन में ट्रंप ने संयुक्त बयान पर दस्तखत तक नहीं किये थे. इसके चलते अमेरिका और यूरोप के रिश्तों में खटास आनी शुरू हो गई थी. जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों के संबंध फिर से सामान्य हुए. लेकिन ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनते ही इनके बीच की दरार पहले से भी गहरी हो गई है.
2025 के जी7 शिखर सम्मेलन में, जो पिछले दिनों कनाडा में ही हुआ, डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से वही 2018 वाली बातें दोहराईं. उनका कहना था कि रूस को इस समूह से बाहर करना एक गलती थी और अगर वह जी7 का हिस्सा बना रहता तो यूक्रेन में अभी शांति होती. उनका यह भी कहना था कि पुतिन ईरान-इज़राइल युद्ध में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं. लेकिन रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाने के अपने सहयोगियों के प्रयासों को उन्होंने कोई खास तवज्जो नहीं दी.
उल्टे, इससे कुछ हफ्ते पहले, टैरिफ के मसले पर, डोनाल्ड ट्रंप अपने सबसे करीबी यूरोपीय सहयोगियों और कनाडा के साथ लगभग वैसा ही आक्रामक बर्ताव कर रहे थे जैसा वे अपने विरोधियों के साथ किया करते हैं.
ऐसे में यह सवाल पूछा जा सकता है कि क्या होता अगर यूनाइटेड किंगडम, यूरोपीय संघ से अलग न हुआ होता? क्या तब यूरोप डोनाल्ड ट्रंप और व्लादीमीर पुतिन से निपटने के मामले में ज्यादा बेहतर स्थिति में होता?