क्या एआई के चलते गूगल, क्वोरा और विकीपीडिया की भी नौकरी जा सकती है?
क्यों एआई के चलते सिर्फ इंसान ही नहीं, बल्कि इंटरनेट के सबसे बड़े दिग्गज भी अपनी जगह खोने के डर से जूझ रहे हैं
जब भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के नुकसानों की बात होती है, तो सबसे पहले यह कहा जाता है कि दुनिया भर में करोड़ों लोग इसके चलते अपनी पारंपरिक नौकरियां खो देंगे. कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो ऐसा होना शुरू भी हो चुका है.
लेकिन जिस बात पर बहुत कम लोग ध्यान दे रहे हैं, वह यह है कि इस दौड़ में इंसान अकेला नहीं है. इंटरनेट को उसकी मौजूदा शक्ल देने वाले सबसे बड़े टेक दिग्गजों — गूगल, क्वोरा और विकीपीडिया — को भी अब एआई के चलते अपना धंधा छिन जाने का खतरा सता रहा है.
अब तक जब भी कोई सवाल होता तो हम गूगल से पूछा करते थे. कोई तथ्य चाहते, तो विकीपीडिया था. और अगर कोई व्यक्तिगत अनुभव या जानकारी जरूरी लगती, तो क्वोरा का सहारा था. ये प्लेटफॉर्म्स सालों से इंटरनेट पर हर तरह की जानकारी पाने के सबसे लोकप्रिय ठिकाने रहे हैं.
लेकिन वह दौर अब बड़ी तेज़ी से और बिना किसी शोर-शराबे के खत्म होता जा रहा है.
आज जानकारी का एक नया तंत्र बन रहा है. एआई टूल्स — जैसे चैटजीपीटी, जैमिनी और क्लॉड — इसके केंद्र में हैं. और हैरानी की बात यह है कि जिस एआई क्रांति को कभी गूगल ने बढ़ावा दिया था, आज उसी ने दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है.
यह बदलाव सिर्फ तकनीक का नहीं है, इंटरनेट पर जानकारी के बहाव का पूरा ढांचा ही खामोशी से उलट-पलट हो रहा है.